Wednesday 12 September 2018

गणेश चतुर्थी

भारत विविधताओं का देश है। भिन्न-भिन्न संस्कृति और रिवाज ही भारतीयों को एकता के सूत्र में बांधते है। महारष्ट्र में गणेश चतुर्थी पर्व को बड़ी श्रद्धा, त्याग व समर्पण के भाव से 10 दिन तक मनाया जाता है। कर्नाटक में इस पर्व को विनायक चतुर्थी के नाम से मनाया जाता है। इस दिन विवाहित औरतें गणेश के साथ-साथ माता गौरी का भी पूजन करती है। गुजरात में भी गणेश चतुर्थी का पर्व बडे़ धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। राजस्थान में भगवान गणेश की मूर्ति को कुम-कुम से स्नान कराकर लाल फूलों की माला पहनाकर मूर्ति को घर के प्रवेश द्वार पर रखा जाता है। महाराष्ट्र से प्रारम्भ होकर गणेश चतुर्थी आज पूरे भारत में धूम-धाम से मनायी जाने लगी है। आज भारत के प्रायः सभी महानगरों, उपनगरों व ग्रामीण क्षेत्रों में गणेश चतुर्थी के दिन सार्वजनिक अथवा निजी रूप में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर 10 दिन तक उनका पूजन किया जाता है। तत्पश्चात श्रद्धापूर्वक मूर्तियो का विसर्जन किया जाता है।
 लेकिन ये बात बहुत काम लोग जानते होंगे कि गणेशोत्सव पहले पारिवारिक समारोह के तौर पर ही मनाया जाता था , लेकिन वर्ष 1893 ई0 में अंग्रेजों के खिलाफ जन असंतोष को व्यक्त करने तथा समाज में एकता स्थापित करने के उदेश्य से लोकमान्य तिलक द्वारा गणेश चतुर्थी के पर्व को एक पारिवारिक सामारोह से बदलकर सार्वजानिक गणेशोत्सव के रूप में मनाने की शुरूवात की गयी। उन्होंने भारत में व्याप्त सामाजिक बुराईयो को दूर करने के लिये गणेश चतुर्थी के पर्व को आम जन द्वारा मनाने के लिये प्रेरित किया।
मुझे यह देख कर अत्यंत ख़ुशी होती है की भारत जैसे विविधता वाले देश में हमारे पर्व और त्यौहार पूरे देश को एक सूत्र में बांधने का कार्य करते है। हमारे देश की यही महानता है कि पूरा राष्ट्र ऐसे अवसरों पर एक हो जाता है। इस पावन अवसर पर मैं सभी देशवासियों को आगामी गणेश चतुर्थी के पर्व की हार्दिक शुभकामनायें देता हुँ और पर्व को हर्ष व उल्लास के साथ मनाने तथा पर्यावरण को भी सुरक्षित रखने का आहवान करता हूँ।

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